Tuesday, May 21, 2013

खामौशी..




यह जो खामौशी सी है..
मेरे होंटों पर,
इसे मेरी कमज़ोरी ना समझना कभी..


हर पल दूसरों का साथ निभाना,
दूसरो के काम आना,
मेरी कमज़ोरी नही,
मेरी आदत है..
इसलिए,
मेरी चूपी से ना कर बैठना,
मेरे किरदार का फैसला..

मेरी खामोशी को,
मेरी कमज़ोरी ना समझना क्योकि..
एसा ज़रुरी तो नही कि,
हर बात का जवाब हो..

अक्ल लगानी ही है,
समझना ही है,
तो..
समझो इस खामोशी को,
क्योकि..
हर बार खामोशी को ज़ूबान देना ज़रूरी नही..


Monday, May 6, 2013

पहली औंर आखरी..





उस पहली बार बात करने से लेकर,

बात बात पर ना बात करने तक..

सदियों के बाद बात करने से लेकर,

हर दूसरे दिन बात करने तक..

सब कुछ छप सा गया है अब,

मेरे दिल की किताब पर..


लिखा है जिसे तुने नही,

समय ने, मेरे आंसुयों ने..

एसे आंसुयों ने..

जिन्हे,

बहाता था तू कभी

मेरे लिए..


अब याद आता है वो कल..

जो जा चुका है अब..

ना लौंट कर आने के लिए कभी..