Friday, November 16, 2012

आज..



ज़िन्दगी थी पहले भी..
पर लक्ष नही था,
आज लक्ष हैं, पाने की चाह हैं , राह हैं,
कशमकश हैं तोह  डर  भी हैं ..
पर कही एक ख़ुशी हैं कि..
आज मेरे पास मै हू ..

ढूँढती थी जिसे दूसरो में कभी,
आज उसको अपने मे ही पा लिया हैं..

डरती थी खोने के डर से कभी
पर आज पता चला हैं
कि,
जो कभी अपना था ही नही
उसको खोना भी क्या खोना

एक खामोशी सी हैं आज
पर इस खामोशी में वो
दर्द , तनहाई और प्यार हैं
वोही प्यार
 जिसे कभी  किसी और में ढूँढती थी..