Monday, October 22, 2012

कुछ तो है..



ये एक नशा हैं, या एक गुम्हार हैं,
जो भी हैं बेशुमार हैं..
खोया हैं पल या 
पल में खोयी हू,
लगता तोह, ये एक एहसास हैं,
या ये साँस कुछ ख़ास हैं..

कल तक तोह अनजान थी.. 
इस लम्हे से,
पर अब ये लम्हा मेरी जान हैं.. 

रास्ता भी था, मंजिल भी थी, 
पर रास्ता यू धुंधला सा था.. 
जहा चल भी ना पाई,
रुक भी ना पाई..

कुछ ही लम्हों की हैं ये 
ज़िंदगी की दास्ताँ,
फिर  
तोह मंजिल एक ही हैं..

जहा ना तो कोई सुख हैं, 
ना ही कोई दुख हैं,
कुछ हैं तोह केवल एक ख़ामोशी हैं.. 
ज़िन्दगी के उस पार की ख़ामोशी, 
मौत की ख़ामोशी....    

Friday, October 12, 2012


अजनबी  ज़िन्दगी..



आखिर क्या हैं यह ज़िन्दगी.. 
हकीकत क्या हैं इसकी, 
क्या यह ऐश और आराम हैं..
या ये  दौलत हैं.. 
दौलत हैं तोह कीमत क्या हैं.

क्या यह प्यार हैं,
प्यार हैं तोह इकरार क्यों नहीं..
मोहब्बत हैं तोह क्या इसकी इज्ज़त हैं..
नफरत हैं तोह क्या इसकी ज़रुरत हैं..
ख़ुशी हैं तोह आंसू क्यों हैं..

क्या ज़िन्दगी एक रास्ता हैं,
रास्ता हैं तोह मंजिल कहा हैं..
क्या ज़िन्दगी दर्द हैं,
दर्द हैं तोह गुजरना कठिन हैं..

क्या यह एहसास हैं,
एहसास हैं तोह क्या यह ख़ास हैं,,
में बताऊ ज़िन्दगी क्या हैं ?

मेरे लिए तोह कुछ नही..
बस एक साँस  हैं,
ज़िन्दगी..