आज एक कमी हैं..
मुझमे मेरी कमी हैं,
तभी तो
इन आँखौ मे एक नमी हैं।।
लगता है कुछ रह सा गया है..
वक्त के साथ,
वोह आतम विश्वास बह सा गया हैं।।
इस बदलते दौर मे..
खुद को ही खो दिया हैं,
बदलना तो बहुत कुछ चाहती थी..
पर आज खुद को ही बदला सा पा लिया हैं।।
मैं हूं..
पर मुझमे..वो पहले वाली काव्या नही रही,
वो पल-पल रूठने-मनाने,
खेलने-कूदने, पढ़ने वाली,
खूब लड़ने, झगड़ने वाली
काव्या..
मुझ मे से निकलकर..
कही खो गई हैं।।
पाना चाहती हूं उसको वापिस..
वापिस उस काव्या को, बचपने भरी लड़की को,
पागल थीं, निकमी थीं,
पर वो काव्या बड़ी आपनी सी थीं।।
एक पराया पन पाती हू आपने मे,
क्युकि, आज मेरे लिए वो पहले वाली..
कमली, चुल-बुली काव्या, दानू..
एक याद बनकर रह गई हैं..
प्यारी याद..।।
प्यारी याद..।।