ये एक नशा हैं, या एक गुम्हार हैं,
जो भी हैं बेशुमार हैं..
खोया हैं पल या
पल में खोयी हू,
लगता तोह, ये एक एहसास हैं,
या ये साँस कुछ ख़ास हैं..
कल तक तोह अनजान थी..
इस लम्हे से,
पर अब ये लम्हा मेरी जान हैं..
रास्ता भी था, मंजिल भी थी,
पर रास्ता यू धुंधला सा था..
जहा चल भी ना पाई,
रुक भी ना पाई..
कुछ ही लम्हों की हैं ये
ज़िंदगी की दास्ताँ,
फिर
तोह मंजिल एक ही हैं..
जहा ना तो कोई सुख हैं,
ना ही कोई दुख हैं,
कुछ हैं तोह केवल एक ख़ामोशी हैं..
ज़िन्दगी के उस पार की ख़ामोशी,
मौत की ख़ामोशी....
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