यह जो खामौशी सी है..
मेरे होंटों पर,
इसे मेरी कमज़ोरी ना समझना कभी..
हर
पल दूसरों का साथ निभाना,
दूसरो के काम आना,
मेरी कमज़ोरी नही,
मेरी आदत है..
इसलिए,
मेरी चूपी से ना कर बैठना,
मेरे किरदार का फैसला..
मेरी खामोशी को,
मेरी कमज़ोरी ना समझना क्योकि..
एसा ज़रुरी तो नही कि,
हर बात का जवाब हो..
अक्ल लगानी ही है,
समझना ही है,
तो..
समझो इस खामोशी को,
क्योकि..
हर बार खामोशी को ज़ूबान देना ज़रूरी नही..