Monday, May 6, 2013

पहली औंर आखरी..





उस पहली बार बात करने से लेकर,

बात बात पर ना बात करने तक..

सदियों के बाद बात करने से लेकर,

हर दूसरे दिन बात करने तक..

सब कुछ छप सा गया है अब,

मेरे दिल की किताब पर..


लिखा है जिसे तुने नही,

समय ने, मेरे आंसुयों ने..

एसे आंसुयों ने..

जिन्हे,

बहाता था तू कभी

मेरे लिए..


अब याद आता है वो कल..

जो जा चुका है अब..

ना लौंट कर आने के लिए कभी..


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