अब उन बातो को यादों मे छोड़ आई,
साथ बुने ख्वाबों को जिंदगी की धूल मे कही
खो आई..
फिर मिलने की उमीद लेकर,
मैं तेरा साथ यूही छोड़ आई..
ख्याल तो बहुत रखा था तुने मेरा,
कमबक्त मै ही अहसान उतारने के मौके पिछे
छोड़ आई..
तेरे साथ हँसी खूशी का साथ निभाकर,
बेखबरी मे पता नही कब एक अंजान सी बन आई..
आज आँचल तो है, पर आँसूयों से भरा..
क्योकि हँसी के बहाने तो, सब मै पिछे छोड़
आई..
बस यादो से भरा अपना दामन, औंर उन बातो को
छोड़,
आगे बढ़ आई..
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