Friday, February 15, 2013

ज़रुरत..



समझती नही क्या ज़रुरत थी मुझे किसी की,
जानती हू तोह बस इतना 
कि,  
मिली थी कभी यूही आपको
चलती राह में कब जिंदगी रुकी,
पता ही नही चला..   

जिस तरह ज़िंदगी में आये थे.. 
उसी तरह एक दिन चले जाओगे,
ना आने का पता था
ना जाने का पता होगा..

ज़िंदगी कभी मेरे आस पास घूमती थी मेरी
आज मेरे नही मेरे आपनो के आस पास घूमती हैं

ना कल ठहरा था, ना आज ठहरेगा 
और ना ही कल रुकेगा,
रह जायेगी तोह केवल एक याद ,
उन आपनो के साथ बिताये लम्हों की याद....     

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